श्वेता तिवारी हर 2 घंटे में अपने बेटे को करती हैं वीडियो कॉल- मेरे डैड की दुल्हन के सेट पर अब साथ नहीं आ सकता है बेटा

श्वेता तिवारी हर 2 घंटे में अपने बेटे को करती हैं वीडियो कॉल- मेरे डैड की दुल्हन के सेट पर अब साथ नहीं आ सकता है बेटा

मुंबई / सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के पॉपुलर शो मेरे डैड की दुल्हन ने पूरे जोर-शोर से शूटिंग शुरू कर दी है और श्वेता तिवारी भी गुनीत सिक्का के रोल में लौट आई हैं। इस एक्ट्रेस को गुनीत के रोल के लिए काफी तारीफें मिली हैं और अब उनका किरदार
ऐसी बहुत-सी महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन गया है, जो जिंदगी में सपने देखना या अपने लक्ष्य हासिल करना
चाहती हैं। गुनीत एक पक्के इरादों वाली औरत है, जो पूरी मजबूती से अपनी बात रखती हैं और समाज के नियमों और दबावों
के आगे झुकने से इंकार करती हैं। वो आज की नारी है।
श्वेता सेट पर वापस आकर बहुत खुश हैं और गुनीत के अपने रोल के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। पहले उनके साथ
सेट पर उनके बेटे रेयांश भी आया करते थे और शूटिंग के दौरान वो उसके साथ वक्त भी बिताती थीं। लेकिन वर्तमान स्थिति
के चलते सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा नियमों का पालन करना पड़ रहा है, इसलिए रेयांश अब श्वेता के साथ सेट पर नहीं
आता। लेकिन एक ख्याल रखने वाली मां होने के नाते श्वेता अपने 3 साल के बेटे रेयांश को हर 2 घंटे में वीडियो कॉल करती
हैं और उसका हाल-चाल पता कर लेती हैं, क्योंकि अभी वो बहुत छोटा है और उनके साथ सेट पर नहीं आ सकता।
 
सेट पर अपने बेटे से वर्चुअल रूप से जुड़े रहने लेकर श्वेता ने कहा, अपने बच्चों के साथ से बढ़कर कोई खुशी नहीं होती और क्योंकि मैं घर पर नहीं रहती हूं इसलिए उनका ख्याल रखना थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि उनकी देखभाल के लिए लोग
हैं, लेकिन एक मां होने के नाते मैं उन्हें काफी मिस करती हूं। श्वेता ने आगे कहा एक सिंगल मदर होने के नाते वर्तमान स्थिति में चीजें संभालना आसान नहीं है, लेकिन पलक एक जिम्मेदार बेटी है और घर पर नैनी भी काफी मदद करती हैं। वो घर पर रहकर मेरे नन्हें मुन्नों का ख्याल रखती हैं, लेकिन मुझे अपने अपने छोटे बेटे के बारे में सोचना पड़ता है और यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि वहां सबकुछ ठीक है। क्योंकि मैं उसे सेट पर नहीं ला सकती जैसा कि मैं पहले करती थी, इसलिए मैं उसे हर 2 घंटे में वीडियो कॉल करती हूं और उससे वर्चुअली बात करती हूं। कठिन वक्त में आपको कठिन फैसले लेने पड़ते हैं।